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राज्य सरकार ने खाद के थैले पर घटाए थे 80 रुपए

लिखमीसर | पंचायत के सहकारी केंद्रों पर किसानों को सस्ते दर पर डीएपी नहीं मिल रही है जबकि राज्य सरकार ने खाद के थैले पर 80 रुपए घटाए है। गहलोत सरकार ने अभी हाल ही में सहकारी संस्थाओं के माध्यम से दी जाने वाली डीएपी खाद के प्रत्येक थैले पर 80 रुपए कम करने की घोषणा की थी। बावजूद इसके सहकारी संस्थाओं में किसानों से 1260 रुपए डीएपी खाद के प्रत्येक थैले के वसूले जा रहे है। किसान महेंद्रसिंह व ओमप्रकाश ने बताया कि राज्य सरकार महज कागजी घोषणाएं कर रही है जबकि हकीकत में किसानों को लूटा जा रहा है। किसानों का कहना है कि स्थानीय सहकारी समिति से उन्होंने डीएपी खाद के थैले खरीदे तो उनसे कहा गया कि हमारे पास कम मूल्य लेने का कोई आदेश नहीं आया है। आदेश आने पर रुपए वापस कर दिए जाएंगे। परंतु बुधवार को इन किसानों से बिल काटकर 1280 रुपए वसूल कर लिए गए। क्रय-विक्रय सहकारी समिति पीलीबंगा के अध्यक्ष भंवर गोदारा ने कहा कि खाद का मूल्य कम होने पर पूरी कीमत वसूल करना सरासर गलत है। इस संबंध में राजफैड के उच्च अधिकारियों से बातचीत की जाएगी। स्थानीय समिति के व्यवस्थापक एलडी शर्मा ने बताया कि हमारे पास कम मूल्य लेने संबंधी को आदेश नहीं मिला है। ऐसे में किसानों से 1280 रुपए के हिसाब से पैसा वसूल किया जा रहा है। राजफैड कार्यालय श्रीगंगानगर के मैनेजर रणवीरसिंह चाहर ने भास्कर को बताया कि रेट कम कर दिया गया है। इस संबंध में एक-दो दिन में रेट कम होने संबंधी आदेश जयपुर से मिल जाएंगे। 
किसानों को घाटा, कंपनी को फायदा 
 डीएपी खाद की मौजूदा समय में नरमा व कपास की बिजाई का समय होने के चलते जरूरत अत्यधिक होने के कारण अधिकांश किसानों ने खरीद लिया है। ऐसे में किसानों को रेट कम होने का फायदा न होकर कंपनियों को अधिक लाभ मिला है। किसानों का कहना है कि रेट घटने के एक सप्ताह निकलने के बावजूद किसानों को पुराने रेट पर खाद बेची गई। ऐसे में कंपनियों ने नाजायज लाभ उठाकर किसानों का शोषण किया है। इससे किसानों में रोष है। भारतीय किसान संघ पदाधिकारियों व किसानों ने रेट घटने के बावजूद पूरा पैसा वसूल करने की निंदा करते हुए प्रत्येक थैले पर 80 रुपए ज्यादा लेने को नाजायज ठहराते हुए घटी राशि को वापिस लौटाने की मांग की है। 

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