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'साहित्य द्वारा भ्रष्टाचार का निदान' परिचर्चा

पीलीबंगा | अखिल भारतीय साहित्य परिषद, श्री जय लक्ष्मी साहित्य कला एवं नाटक मंच के संयुक्त तत्वावधान में रविवार को 'साहित्य द्वारा भ्रष्टाचार का निदान' विषयक परिचर्चा आयोजित की गई। अध्यक्षता वास्तुविद व कवि बलविंद्र भनोत ने की। वरिष्ठ साहित्यकार निशांत ने कहा कि अच्छा साहित्य पढ़ कर आदमी संवेदनशील बनता है। बलविंद्र भनोत ने कहा कि भ्रष्टाचार केवल नेताओं द्वारा ही नहीं किया जाता बल्कि यदि हमारा आपस में प्रेम व सामंजस्य नहीं है तो वह भी भ्रष्ट आचरण है, जो साहित्य द्वारा ही रुक सकता है। लेखक विजय बवेजा ने कहा कि साहित्यकार अच्छा साहित्य, परिचर्चाएं, गोष्ठियां व लेखों द्वारा लोगों को भ्रष्टाचार के नुकसान के बारे में बताकर जागरूकता पैदा कर सकते हैं। युवा कवि देवीलाल महिया ने राजस्थानी कविता 'जेसीबी रा मालिक' पेश कर भ्रष्टाचार पर करारा व्यंग्य किया। हरिकृष्ण वर्मा ने कहा कि भ्रष्टाचार को रोकने के लिए हमें जागरूक होना होगा तभी यह कार्य संभव हो सकेगा। गजल गायक नवदीप भनोत ने कहा कि साहित्य से आत्मिक गुणों का विकास होता है। परिचर्चा में प्रकाश बिश्नोई, राजेन्द्र पारीक, रेशम अठवाल, सतवीर कारेला, सोहन लाल, जोगिन्द्र सिंह, नवजोत, गुरुसेवक सिंह, राकेश वर्मा आदि ने भी विचार रखे। गोष्ठी का संचालन विजय बवेजा ने किया। 

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