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ज्ञान होने पर व्यक्ति संबंध जोड़ लेता है परमात्मा से'

पीलीबंगा | व्यक्ति धन, बल व आयु से नहीं ज्ञान से बड़ा जाना जाता है। ज्ञान होने पर व्यक्ति परमात्मा से संबंध जोड़ लेता है और ऐसे ज्ञान की प्राप्ति के लिए व्यक्ति को जीवन में एक ऐसा गुरु बनाना चाहिए जो उसे परमात्मा से मिलाने की प्रेरणा देता हो। ये विचार स्वामी श्रीकमलानंद गिरी जी महाराज ने गीता भवन प्रांगण में श्रीकल्याणकमल सेवा समिति एवं गीता भवन ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान महायज्ञ के दूसरे दिन कथा का वाचन करते हुए कहा। उन्होंने कहा कि भजन के लिए स्थान नहीं मन ज्यादा महत्व रखता है। मन शुद्ध हो तो भजन कहीं भी किया जा सकता है, लेकिन मन के अशुद्ध होने पर मंदिर जाकर भी भजन करना व्यर्थ है। उन्होंने कहा कि राजा परीक्षित की भगवान ने मां के गर्भ में भी सुदर्शन चक्र से रक्षा की इसीलिए राजा परीक्षित जन्म लेते ही परमात्मा की खोज में जुट गए। उन्होनें कहा कि यदि संतान को आध्यात्मिक पे्ररणा देनी है तो माता-पिता को सर्वप्रथम खुद अपने जीवन में आध्यात्मिकतापूर्ण आचरण करना होगा। वर्तमान युग में बच्चे सिखाने से नहीं दिखाने से सीखते हैं। कथा के दौरान 'जय-जय राधा रमण हरि बोल' सहित अन्य मधुर भजन गाकर श्रद्धालुओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। इसके अलावा महाराज ने श्रद्धालुओं से कन्या भ्रूण हत्या की रोकथाम एवं गौवंश संरक्षण की प्रेरणा देते हुए इन सामाजिक बुराइयों को जड़ से नष्ट करने के लिए प्रयास करने की बात कही। सेवादार रमन अरोड़ा ने भी भजन प्रस्तुत कर वातावरण को गोविंदमय कर दिया। पेयजल की व्यवस्था रवि जुनेजा, शिव गुप्ता, जितेंद्र शेखावत, अश्वनी जुनेजा, हेमंत रोहतकिया, बब्बू जुनेजा, आत्मप्रकाश बंसल, मा. बद्रीप्रसाद सारस्वत, चिमनलाल, नरेश कुमार आदि ने की। 

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