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कर्म करो फल की इच्छा नहीं

पीलीबंगा | सुख देने वाला संत ही देवता कहलाता है। निरंकारी मिशन के प्रबुद्ध विचारक एवं प्रचारक संत धर्मपाल टक्कर मुक्तसर वालों ने सोमवार को निरंकारी सत्संग भवन में आयोजित संत समागम में श्रद्धालुओं को यह बात कही। उन्होंने कहा कि गुरु सिख गुरु चरणों के साथ जुड़कर इस विशाल निरंकार की सत्ता के साथ जुड़ा रहता है। गुरु चरणों के साथ जुडऩे का भाव है गुरु के वचनों के साथ जुडऩा एवं गुरु की शिक्षा को अपनाना। ऐसा गुरु सिख केवल फर्जों की पूॢत के लिए कर्म करता हैं, न कि अपनी तमन्नाओं, कामनाओं व इच्छाओं की पूॢत के लिए। संत ने आगे कहा कि कर्म करना मानव के हाथ में है और कर्म का फल देना निरंकार के हाथ। गुरु सिख ने स्वयं को इस तरह अर्पण किया होता है कि फल उसके मन चाह हो या ना हो, वह उसी में अपनी भलाई देख लेता हैं। गुरु सिख का गुरुचरणों में एक बार रूपांतरण हो जाए तो वह फूल की भांति सुंदरता, कोमलता एवं महक बिखेरते चला जाता हैं। गुरु सिख की खुशबू और यश चारों और फैल जाता है। इससे पूर्व क्षेत्रिय प्रभारी धर्मपाल टक्कर का निरंकारी भवन में पहुंचने पर साध-संगत द्वारा फूलों से भव्य स्वागत किया गया। संत समागम को स्थानीय एवं अन्य शहरों से पधारे भाई-बहिनों ने संबोधित किया। समागम के उपरांत लंगर सेवा भीम मित्तल परिवार द्वारा की गईं। 



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