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‘बावली बूच’

पीलीबंगा | अखिल भारतीय साहित्य परिषद, श्रीजय लक्ष्मी साहित्य कला व नाटक मंच के संयुक्त तत्वावधान में रविवार को हास्य कवि दौलतराम डोटासरा, रोड़ावाली की पुस्तक 'बावली बूच' भाग प्रथम का विमोचन किया गया। इस अवसर पर डोटासरा ने 'वो है बावली बूच' व 'जको करे काम, लुगाई ने पूछ-पूछ' सहित कई रचनाएं सुनाकर श्रोताओं को खूब हंसाया। बलविंद्र भनौत ने 'बां रो, के लाग्यो पल्ले सूं', 'लडय़ौ इलैक्शन, कर कलैक्शन' सुनाकर दाद बटोरीं। कवि निशांत ने 'सैसूं बड़ो इंसाफ' व 'ओ मरसी आज नी कल', प्रवीण गोदारा ने 'हसबैंड, मुफ्त रो बैंड', नरेंद्र वर्मा ने 'छोरो स्कूल जांतो कोनी फेर भी मास्टर लगा देता हाजरी' तथा विशांल बंसल ने 'छोरो बड़ो हुस्यार, उड़ती चीड़ी रो गिणल्ये पांख, दो है के च्यार' सुनाकर श्रोताओं को हंसा-हंसाकर लोट-पोट कर दिया। इस दौरान कार्यक्रम का संचालन करते हुए कवि विजय बवेजा ने 'बुढिय़ो मरयौ ले र बरस 108, फेर भी बी रै मन में रह्यो अेक गिरगिराट कै भगवान मन्ने क्यूं दी उमर घाट' कविता सुनाईं। इस मौके पर वरिष्ठ साहित्यकार निशांत, वास्तु शिरोमणी कवि बलङ्क्षवद्र भनौत, नवदीप भनौत, विजय बवेजा, प्रवीण गोदारा, नरेंद्र वर्मा व विशाल बंसल सहित कई लोगों ने वार्डवासियों को दीपोत्सव की बधाई दी। 

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