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‘महापुरुषों का संगत से संवरता है जीवन’

पीलीबंगा | सत्संग न मिले तो मन संसार की तरफ उन्मुख हो जाता है। ये विचार संत मदन सिंह ने रविवार को निरंकारी सत्संग भवन में आयोजित संत समागम में कहे। उन्होंने कहा कि सत्संग में जब महापुरुषों के वचन सुनते है तो जागृति व चेतना आती है। यद्यपि आंखें सब कुछ देखती है। लेकिन इनकी महत्ता तभी है, जब इनसे महापुरुषों के दीदार हो। इसी प्रकार कानों की महत्ता तभी है जब वे महापुरुषों के वचन सुनते है। सिर की महत्ता तभी होती है, जब यह संतों की चरण रज लेना चाहता हैं। तन-मन-धन की महत्ता तभी होती है जब ये सेवा में लगते हैं। आज का इंसान संतजनों की शिक्षाओं को भूल गया है। संत जन हर युग में उसे इन शिक्षाओं की याद दिलाते है ताकि उसका लोक-परलोक संवर जाए। प्रेम से जिए। प्रेम के बिना मनुष्य जीवित होते हुए भी मृतक के समान हैं। हर गुरु, पीर व पैगंबर की शिक्षाएं एक ही सामान है, तो फिर इंसान आपस में नफरत क्यों करता है? संत समागम को जयपुर से पधारे संतों ने भी संबोधित किया।

पीलीबंगा. पांच संत समागम को संबोधित करते संत मदनसिंह एवं उपस्थित साध-संगत।।


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