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हनुमानगढ़-सूरतगढ़ ट्रैक अब इलेक्ट्रिक; 100 किमी प्रति घंटा से लिया ट्रायल, रंगमहल से 38 मिनट में जंक्शन पहुंची ट्रेन, जून से होगा संचालन

सीआरएस सुशील चंद्रा ने बुधवार को हनुमानगढ़-पीलीबंगा-सूरतगढ़ इलेक्ट्रिक रेलवे ट्रैक का निरीक्षण किया। रंगमहल से हनुमानगढ़ जंक्शन तक 100 की स्पीड से इलेक्ट्रिक इंजन के साथ ट्रायल लिया गया। करीब 41 किलोमीटर का यह सफर सीआरएस स्पेशल ट्रेन ने महज 38 मिनट में पूरा किया। 
खास बात है कि हनुमानगढ़ से सूरतगढ़ तक ट्रैक विद्युतीकरण का अधिकांश काम महज 30 दिन की अवधि में पूरा हुआ है। इससे रेलवे टीम की बीकानेर रेल मंडल में उपलब्धि माना जा रहा है। अधिकारियों के मुताबिक बठिंडा से हनुमानगढ़ होते हुए सूरतगढ़ तक ट्रैक इलेक्ट्रिक हो चुका है। ऐसे में सीआरएस की ओके रिपोर्ट मिलते ही संभवतया जून माह तक नियमित रूप से इलेक्ट्रिक ट्रेन संचालन शुरू हो सकेगा। हालांकि सीआरएस ने मौखिक तौर पर ट्रैक ओके होने के संकेत मिल चुके हैं लेकिन बीकानेर मंडल की ओर से लिखित में मंजूरी मिलने के बाद इस ट्रैक पर इलेक्ट्रिक ट्रेन का संचालन शुरू किया जाएगा। 
रेलवे सूत्रों का कहना है कि सीआरएस निरीक्षण रिपोर्ट अगर कोई छोटी कमी सामने आती हैं तो उनको जल्द दुरूस्त कर लिया जाएगा। बुधवार अलसुबह यहां पहुंचे नॉर्थ वेस्टर्न रेलवे के सीआरएस सुरेश चंद्रा ने साढ़े आठ बजे हनुमानगढ़ से सूरतगढ़ इलेक्ट्रिफिकेशन का निरीक्षण किया। इलेक्ट्रिक रेलवे ट्रैक पर स्थित सभी स्टेशनों, क्रॉसिंग, आरओबी, एलसी गेट, गिरडर ब्रिज आदि का उन्होंने बारीकी से निरीक्षण किया। डबली राठान में बनाए गए रेलवे के विद्युत सब स्टेशन का भी जायजा लिया। दोपहर सवा एक बजे सूरतगढ़ आउटर तक बारीकी से निरीक्षण के बाद रेलवे सेफ्टी कमिश्नर सुशील चंद्रा इलेक्ट्रिक ट्रेन के साथ दोपहर 2 बजकर 52 मिनट पर रंगमहल से रवाना होकर 3.30 बजे हनुमानगढ़ जंक्शन पहुंचे। इसके बाद सीआरएस स्पेशल ट्रेन से 4.13 बजे डीजल इंजन से वापिस बीकानेर की तरफ रवाना हो गए। निरीक्षण के दौरान सीआरएस के साथ डीआरएम एके दुबे, प्रिंसिपल चीफ इलेक्ट्रिकल इंजीनियर जयपुर आरके अटोलिया, चीफ प्रोजेक्ट डायरेक्टर पुनीत काठपालिया, चीफ इलेक्ट्रिकल वितरण इंजीनियर जयपुर एसएम खींची, आरएस चौधरी डिविजनल इलेक्ट्रिकल इंजीनियर बीकानेर, हनुमानगढ़ से एईएन संदीप डावरा, अवधेश मीणा सहित अन्य रेलवे अधिकारी-कर्मचारी मौजूद रहे। इससे पहले आखिरी कोच में सीआरएस सुरेश चंद्रा, बीकानेर डीआरएम एके दूबे और विभिन्न विभागीय टीमों के अधिकारी इलेक्ट्रिक ट्रैक का विंडो इंस्पेक्शन करते हुए रवाना हुए। 
पहले पूजा-अर्चना कर नारियल फोड़े फिर लिया इलेक्ट्रिक इंजन के साथ ट्रायल 
सीआरएस ने रंगमहल स्टेशन स्टेशन के पास इलेक्ट्रिक ट्रेन के साथ ट्रायल शुरू करने से पहले इलेक्ट्रिक इंजन के आगे पहुंचकर पूजा-अर्चना की। इस दौरान सीआरएस, डीआरएम और अन्य अधिकारियों ने नारियल फोड़ श्रीगणेश किया। सीआरएस की स्पेशल ट्रेन का इलेक्ट्रिक इंजन के साथ ट्रायल हुआ। लोगों ने कहा कि जल्द से जल्द इलेक्ट्रिक ट्रेन शुरू की जानी चाहिए। 
सावधान रहें लोग: इलेक्ट्रिक ट्रैक से 7 फीट के दायरे में नहीं जाएं, ट्रेन की छत पर बैठ यात्रा कर जान जोखिम में न डालें 
इलेक्ट्रिक रेलवे ट्रैक पर 2.2 केवी/25 केवी का करंट प्रवाहित होता है। ऐसे में किसी ट्रेक्शन वायर एवं विद्युत उपकरण के दो मीटर(करीब सात फीट) के दायरे में नहीं जाएं। इस ट्रैक पर विद्युत उपकरणों को चार्ज कर दिया गया है। ऐसे में इन विद्युत उपकरणों या इनके पास कार्य के लिए नियुक्त कर्मचारियों के अलावा अन्य सभी रेलवे कर्मचारी इससे दूर रहेंगे। किसी भी विद्युत उपकरण के किसी भी भाग एवं उसके समीप दो मीटर के भीतर कार्य करने के लिए परमिट टू वर्क कार्ड प्राप्त करना अनिवार्य है। तूड़ी से लदी ट्रैक्टर ट्राली के ऊपर बैठकर रेलवे फाटक को पार नहीं करें। 
विद्युतीकरण प्रोजेक्ट का चौथा चरण भी हुआ पूरा 
केंद्र सरकार ने पिछले रेल बजट में हिसार से बठिंडा होते हुए सूरतगढ़ तक रेलवे ट्रैक पर करीब 300 करोड़ रुपए की लागत से विद्युतीकरण की घोषणा की थी। हिसार से बठिंडा होते हुए सूरतगढ़ तक विद्युतीकरण का काम चार चरणों में पूरा किया गया हैं। इसमें हिसार से सिरसा, सिरसा से बठिंडा, बठिंडा से हनुमानगढ़ और आखिर में हनुमानगढ़ से सूरतगढ़ तक रेलवे ट्रैक का विद्युतीकरण किया गया। गत तीन मार्च को बठिंडा से हनुमानगढ़ के बीच सीआरएस निरीक्षण हुआ था। 
ट्रेन के फायदे ही फायदे 
1.स्पीड बढ़ेगी: ट्रेनों की औसत स्पीड में बढ़ोतरी होगी। वायु प्रदूषण में कमी आएगी। इलेक्ट्रिक इंजन, डीजल इंजनों की अपेक्षा जल्द रफ्तार पकड़ लेते हैं। 
2.ट्रेनों की आवाजाही बढ़ेगी-विद्युत इंजन की शक्ति डीजल इंजन से अधिक होने के कारण अधिक माल ढुलाई व कोच संख्या में बढ़ोतरी। डीजल खपत कम होने से रेलवे की लागत में कमी आएगी।

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