प्रशासन की मिलीभगत या उदासीन रैवया : दूध की डेयरी पर बिकता सफ़ेद जहर
नकली दूध बनाने का कारोबार हनुमानगढ़ व श्रीगंगानगर जिले में बड़े पैमाने पर हाे रहा है। इस बात का खुलासा गुरुवार को रावतसर में पकड़े गए नकली दूध बनाने के सामान से हुआ। यह सामान दो पिकअप गाड़ियों में था, जिन्हें भी पुलिस ने जब्त किया है। बड़ी बात ये भी है कि गाड़ियों में कुछ डायरियां मिली हैं, जिसमें उन इलाकों का पता लिखा हुआ था, जहां नकली दूध बनाने का सामान पहुंचाना है। पुलिस ने नाका लगाते हुए यह कार्रवाई की, इस वजह से नाके से कुछ दूर पर ही पुलिस को देख चालक वाहन छोड़कर भाग गए। इस संबंध में पुलिस ने आरोपी ईश्वर गांधी, वाहन चालक लालचंद व अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया है। पुलिस के अनुसार मुखबिर की इत्तला पर डीएसपी जयसिंह दहिया ने गश्त के दौरान रामदेव मंदिर ढाब के पास बुधवार शाम को 2 पिकअप जीप पकड़ी। इनके चालक भाग चुके थे। दोनों वाहनों में नकली दूध बनाने वाली सामग्री के 20 बड़े थैले व 3 भरे ड्रम बरामद किए। वाहनों की जांच के बाद ईश्वर गांधी पुत्र ताराचंद अग्रवाल निवासी रावतसर के नाम से वाहनों की आरसी मिली। साथ ही एक मोबाइल व हिसाब-किताब की डायरी मिली, जिनमें नोहर, पीलीबंगा व रावला में सामग्री वितरित किए जाने का ब्यौरा था। साथ ही दिल्ली की किसी फर्म का हिसाब-किताब लिखा हुआ मिला। मौके पर पुलिस ने चिकित्सा प्रभारी सुभाष भिड़ासरा को बुलाकर सेंपल भरने की कार्रवाई की।
इनसाइड स्टोरी
जिम्मेवार महकमों की मिलीभगत के चलते क्षेत्र में नकली दूध का कारोबार चरम पर है। इतना ही नहीं सफेद दूध के काले कारोबारियों के लाभ का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2 सौ लीटर नकली दूध तैयार करने में महज 80 रुपए का खर्च आता है और दूध 40 रुपए प्रति लीटर की दर से बेचा जा रहा है। खास बात है कि दूध माफिया बेखोफ होकर दूध का कारोबार करते हुए आमजन के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहे हैं पर स्वास्थ्य महकमा मौन साधे बैठा है। हैरानी इस पर है कि तहसील क्षेत्र में दुधारू पशुओं के अनुपात में आने वाले दूध की मात्रा कहीं अधिक होने के बावजूद विभाग की उदासीनता एक प्रश्न बनी हुई है।
ऐसे बनाते हैं; यूरिया व माल्टोस जैसे केमिकल्स डालते हैं, कास्टिक साेडे का भी हो रहा इस्तेमाल
नकली दूध बनाने में यूरिया, माल्टोस, लेक्टोज पाउडर, कास्टिक सोडा जैसे पदार्थों का उपयोग किया जाता है। यही सामग्री पकड़ी है। शहर में विभिन्न स्थानों पर व आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में दूध संकलन केन्द्र के नाम पर नकली दूध उत्पादन केन्द्र अपनी जड़ें जमा चुके हैं। इन केन्द्रों पर खुलेआम नकली दूध बनाने में प्रयुक्त होने वाली सामग्री पहुंचाई जाती है।
पहले पकड़ा था नकली घी, मंत्री तक पहुंचा था मामला
नकली और मिलावटी खाद्य पदार्थों का मुद्दा भास्कर ने उठाया था। गंगमूल डेयरी ब्रांड के नकली घी सरस की बरामदी को लेकर रिपोर्ट प्रकाशित की थी। इसमें बताया था कि सरस ब्रांड के नाम से नकली पैंकिंग बिक रही है। इसके बाद 23 जून को हनुमानगढ़ आए सहकारिता मंत्री ने इस पर संज्ञान लेते हुए कड़ी कार्रवाई करने की बात कही थी।
गंभीर बीमारियों का खतरा; इस दूध से बच्चों का विकास नहीं होता, लीवर-गुर्दे व आंत पर असर
नकली दूध के सेवन से मानव स्वास्थ्य पर विपरित प्रभाव पड़ते हैं। खासकर केमिकल वाला दूध तो गंभीर बीमारी बनाकर जान तक ले सकता है। व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। इससे लीवर, गुर्दा, आंत प्रभावित होते हैं। आगे गंभीर बीमारी का रूप ले सकती है। बच्चों का विकास क्षीण हो जाता है।
सामाजिक संगठनों ने भी उठाई आवाज
राजस्थान जन चेतना मंच के जिला उपाध्यक्ष एडवोकेट एमएल शर्मा ने क्षेत्र में फैले नकली दूध के कारोबार पर अंकुश लगाने की मांग को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय व मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर तत्काल प्रभावी कार्रवाई किए जाने की मांग की है। इससे पहले भी कई संगठनों ने इस कारोबार को फैलने से बचाने के लिए प्रशासन और मुख्यमंत्री तक पत्र भेजे हैं।
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