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सिलेबस 50% कम होने की घोषणा, किताबों का बोझ कम करने की तैयारी


बच्चों के बस्ते का बोझ 2019-20 के शैक्षणिक सत्र से कम हो जाएगा। इसकी मांग करीब दो दशक से चली आ रही थी। मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर ने दो साल के मंथन के बाद 26 फरवरी को इसका एेलान किया था। मंत्रालय ने पिछले साल अप्रैल से लेकर नवंबर तक देशभर के पांच रीजनल सेंटर पर कार्यशाला का आयोजन किया, जिसके बाद दिल्ली में 6-7 नवंबर को चिंतन शिविर में लंबी चर्चा के बाद इसका एेलान किया गया। इस एेलान के बाद एनसीईआरटी की टीम के साथ जावडेकर ने कई दौर की बैठक कर तत्काल इस दिशा में कदम उठाने का निर्देश दिया है। 

सरकार ने अभी कक्षा एक से आठवीं तक के पाठ्यक्रम में बदलाव का पूरा खाका तैयार नहीं किया है। यह काम देशभर के िशक्षाविदों से परामर्श के बाद किया जाएगा। लेकिन हर क्लास में हर विषय में कुछ बुनियादी बदलावों को मंत्रालय ने हरी झंडी दे दी है। इससे बाकी अध्यायों में बदलाव के लिए शिक्षाविदों को लाइन मिल जाएगी। मंत्रालय ने जो स्पष्ट नीति बनाई है उसके तहत दो कक्षाओं में रिपीट होने वाले पाठ्यक्रम को बाहर कर किताबों का बोझ कम किया जाएगा।


शिक्षाविदों ने दिए बड़ी कक्षाओं के पाठ्यक्रम में भी बदलाव के सुझाव 

1. राजस्थान के ज्ञान विहार स्कूल के डायरेक्टर कनिष्क शर्मा के अनुसार सिलेबस में कम से कम संविधान के आर्टिकल एक से तीस तक की जानकारी होनी चाहिए। कक्षा 9 के चैप्टर में पोस्ट ऑफिस, टेलीग्राम के बारे में विस्तार से पढ़ाया जा रहा है। इसकी जरूरत नहीं है। पानी बचाने पर भी चैप्टर दें। अभी बल्ब के बारे में ही पढ़ाया जा रहा है। जबकि एलईडी आ चुकी है। जीपीएस मोबाइल, इंटरनेट के बारे में विस्तार से पढ़ाने की जरूरत है। 


2. हरियाणा के सर्वहितकारी केशव विद्या निकेतन के प्रिंसिपल मनोज कुमार कहते हैं कि नौंवीं- दसवीं कक्षा की हिस्ट्री की किताबों में विश्व इतिहास के कई चैप्टर निकाले जा सकते हैं जिसमें सारा फोकस यूरोप पर है। उन हिस्सों को निकालकर भारत के इतिहास को डाला जा सकता है। गणित और विज्ञान में ‌वैदिक गणित को जोड़ना चाहिए। 

3. हरियाणा के शिक्षक जतिंदर सिंह ने बताया कि 11वीं-12वीं में फिजिक्स के 10 यूनिट में से 4 यूनिट हटाने चाहिए। उसकी जगह प्रेक्टिकल होना चाहिए। 10वीं कक्षा में रे ऑप्टिक्स और मिरर का चैप्टर बिना मतलब डाला गया है। उसे छोटी कक्षाओं मे पढ़ाना चाहिए। दसवीं में साइंस के दो भाग होने चाहिए। जिन्हें 11वीं में विज्ञान लेना है वे तो दोनों भाग पढ़ें और जिन्हें दूसरे विषय लेने हैं उन्हें सिर्फ रोजमर्रा का विज्ञान पढ़ाना चाहिए। 
4. गुजरात के शिक्षाविद डॉ. किरीट जोशी कहते हैं कि इतिहास में फ्रेंच क्रांति, चीन की स्वतंत्रता का इतिहास आदि छोटा करके पढ़ाना ठीक है। विज्ञान में नैनो टैक्नोलॉजी, रोबोटिक्स, जीनेटिक्स सहित विकसित हो रही नई विधाओं को जगह देनी चाहिए। भाषाओं के विषयों में धर्मनिरपेक्षता को स्थान मिले इसलिए ऐसी मिसालपेश करने वाली कहानियां आत्मकथाएं पाठ्यक्रम में शामिल होनी चाहिए। 


5.छत्तीसगढ़ के शिक्षविदों ने बताया कि कक्षा 9 में कनवर्सेशन आॅफ प्लांट एंड एनिमल्स पढ़ाया जाता है। यह सामान्य ज्ञान में पढ़ाया जाता है। इसकी विज्ञान में जरूरत नहीं है। ऐसे ही हिंदी में एक निबंध है - सांस सांस में बांस। ये रोचक नहीं है। ऐसे ही कक्षा 9 में विज्ञान विषय में सम नेचुरल फेनोमना चैप्टर पढ़ाया जाता है। यह एन्वायरमेंटल स्टडीज में भी पढ़ाया जाता है। 

कैसा हो बच्चों का सिलेबस? आप भी बता सकते हैं 
सिलेबस बदलने के लिए लर्निंग आउटकम के जरिए वैज्ञानिक तरीका अपनाया जाएगा। लर्निंग आउटकम को एनसीईआरटी ने ही तैयार किया है। बदलाव पर एनसीईआरटी की करिकुलम कमेटी ही अंतिम रिपोर्ट देगी। लेकिन उससे पहले मंत्रालय अब इसी हफ्ते में ही वेबसाइट पर प्रस्ताव का ड्राफ्ट रखेगी। इस पर शिक्षक, शिक्षाविद, पूर्व छात्र, माता-पिता राय दे सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक पाठ्यक्रम पर सुझाव के लिए मार्च से अप्रैल तक ही समय दिया जाएगा। सरकार की रणनीति दिसंबर के आखिर तक सिलेबस को अंतिम रूप देने की है।

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