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आवास निर्माण की राशि के लिए भटक रहे ग्रामीण

लिखमीसर मुख्यमंत्री आवासीय योजना के तहत कच्चे मकान को तोड़कर पक्का बनाने बनाने की आस ग्रामीणों की दो साल से ज्यादा समय निकलने के बाद भी पूरी नहीं हो सकी है। योजना के तहत आवेदकों को 45 व 50 हजार रुपए की राशि का भुगतान राज्य सरकार द्वारा किया जाता है। मगर यहां के लोगों को योजना का पूरा फायदा नहीं मिल रहा है। आवेदकों का कहना है कि सरकार योजनाएं तो आए दिन नई चलाती है, लेकिन इन योजनाओं का उन्हें पूरा लाभ नहीं मिल रहा है। ऐसे में इन योजनाओं को चलाने का कोई मतलब नहीं रह जाता है। योजना के तहत लाभांवित होने वाले आवेदकों ने कलेक्टर से शीघ्र ही समस्या का हल करने की मांग करते हुए जिला परिषद व पंचायत समिति के अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है।

ह है योजना का प्रारूप
आवासीय योजना के तहत केंद्र सरकार ने 1997 में इंदिरा गांधी आवासीय योजना व राज्य सरकार ने 2012 में मुख्यमंत्री आवासीय योजना का शुभारंभ किया था। इसके तहत अनुसूचित जाति के तहत आने वाले बीपीएल परिवार को 50 हजार रुपए व ओबीसी व अन्य को 45 हजार रुपए की राशि आवास निर्माण के तहत दी जाती है। योजना के तहत लाभार्थी को शर्तें पूरी करने बाद तीन किश्तों में राशि का भुगतान किया जाता है। पहली किश्त में एससी आवेदक को 25 हजार अन्य को साढ़े बाईस हजार रुपए, दूसरी किश्त में एससी को 20 हजार पांच सौ व अन्य को 18 हजार तीसरी व आखिरी किश्त में 4500 रुपए की राशि का भुगतान किया जाता है। ऐसे में अधिकांश आवेदकों को पंचायत द्वारा उपयोगिता प्रमाण-पत्र भेजने के बाद भी तीन माह से ज्यादा समय निकलने के बाद भी राशि का भुगतान नहीं किया गया है।

शर्त हटाने के बाद भी राशि का भुगतान नहीं
मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत राज्य सरकार के नियमानुसार आवास पूर्ण होने के बाद तीसरी किश्त का भुगतान करना जरूरी था। मगर राज्य सरकार ने कुछ माह पूर्व इस शर्त को हटा दिया। बावजूद इसके सैकड़ों आवेदकों को तीसरी किश्त की राशि का भुगतान करने में आनाकानी की जा रही है।
जन प्रतिनिधियों के प्रति भी आक्रोश
योजना के तहत आवास निर्माण न होने को लेकर आवेदकों ने जनप्रतिनिधियो के प्रति भी रोष जाहिर किया है। इनका कहना है कि राज्य सरकार की योजना होने के बावजूद न तो विधायक इसमें कोई सहयोग कर रहे हैं और न ही सरपंच व वार्ड पंच। ऐसे में ग्रामीणों ने बताया कि वोट की राजनीति करने वाले ये नेता अवसरवादी होते है। जब ऐसे लोगों से कोई काम पड़ता है तो ये आम आदमी की कोई सुनवाई नहीं करते है।


"मुख्यमंत्री आवास योजना केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई इंदिरा आवास योजना का ही हिस्सा है। मगर मौजूदा सरकार जनता को गुमराह कर रही है। गरीबों को इस योजना का ाभ नहीं मिल रहा है। पक्के बनवाने की आस में कच्चे आवासों को तोड़कर खुले मे बैठने को मजबूर हो गए हैं।"  काका सिंह, प्रधान पंचायत समिति पीलीबंगा

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