60% से कम अंक वाले आरटेट २०११ में फेल
हाईकोर्ट की खंडपीठ ने आरटेट 2011 के परिणाम को रद्द करते हुए दुबारा परिणाम जारी करने तथा इस आधार पर हुई तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती की चयन सूची दुबारा बनाने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट ने आरटेट 2011 में आरक्षित वर्ग को न्यूनतम प्राप्तांकों में छूट देने तथा साठ प्रतिशत से कम अंक वालों को शिक्षक भर्ती के योग्य मानने को गलत ठहराते हुए यह आदेश दिए। अदालत ने स्पष्ट किया कि आरक्षित वर्ग के ऐसे अभ्यर्थी जो फीस के अलावा अन्य कोई छूट लेकर सामान्य वर्ग में चयनित हुए हैं, उन्हें चयन से बाहर किया जाए। मुख्य न्यायाधीश अमिताभ रॉय व न्यायाधीश निशा गुप्ता की खंडपीठ ने यह आदेश देते हुए राज्य सरकार व 28 अन्य की अपीलों को खारिज कर दिया।
अदालत ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार द्वारा विभिन्न श्रेणियों में दी गई दस से बीस प्रतिशत अंकों की छूट गलत है, जबकि एनसीटीई के नियमानुसार आरटेट में उत्तीर्ण होने के लिए न्यूनतम साठ प्रतिशत अंक लाना जरूरी था। राज्य सरकार ने अपने जवाब में स्पष्ट किया कि आरक्षित वर्ग को जिस पांच प्रतिशत छूट की बात कही है वह टेट में शामिल होने के लिए शैक्षणिक योग्यता में छूट थी न कि टेट के न्यूनतम प्राप्तांक में। ऐसे में स्पष्ट है कि आरटेट में न्यूनतम प्राप्तांकों में छूट का कोई प्रावधान नहीं था।
अदालत ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार द्वारा विभिन्न श्रेणियों में दी गई दस से बीस प्रतिशत अंकों की छूट गलत है, जबकि एनसीटीई के नियमानुसार आरटेट में उत्तीर्ण होने के लिए न्यूनतम साठ प्रतिशत अंक लाना जरूरी था। राज्य सरकार ने अपने जवाब में स्पष्ट किया कि आरक्षित वर्ग को जिस पांच प्रतिशत छूट की बात कही है वह टेट में शामिल होने के लिए शैक्षणिक योग्यता में छूट थी न कि टेट के न्यूनतम प्राप्तांक में। ऐसे में स्पष्ट है कि आरटेट में न्यूनतम प्राप्तांकों में छूट का कोई प्रावधान नहीं था।
यह है मामला
अधिवक्ता विज्ञान शाह के अनुसार आरटेट में इस फैसले के बाद आरटेट-2011 में 60 प्रतिशत से कम प्राप्तांक वाले सभी अभ्यर्थियों को अनुत्तीर्ण माना जाएगा, चाहे वे किसी भी वर्ग के हों। आरटेट-2011 के आधार पर हुई 41000 तृतीय श्रेणी शिक्षकों की भर्ती में से इस फैसले के बाद फेल साबित होने वाले अभ्यर्थियों को बाहर किया जाएगा। जो अभ्यर्थी शुल्क, आयु, शैक्षणिक योग्यता संबंधी छूट ले चुके हैं, वे सामान्य श्रेणी में शामिल होने के योग्य नहीं होंगे।
खंडपीठ ने माना कि आरटेट के अंक तृतीय श्रेणी भर्ती में शामिल किए हैं, ऐसे में आरटेट की परीक्षा भी भर्ती का भाग थी। जिस दिन सरकार ने आरटेट की विज्ञप्ति जारी की उस दिन सरकार की मौजूदा आरक्षण नीति में किसी तरह की छूट का प्रावधान नहीं था, इसलिए न्यूनतम अंकों में कोई छूट नहीं दी जा सकती।
एकलपीठ ने 6 अक्टूबर 2012 के आदेश से आरटेट में 55 प्रतिशत से कम अंक धारकों को तृतीय श्रेणी शिक्षक के अयोग्य मानते हुए सरकार को उन्हें नियुक्ति देने से मना किया था। एकलपीठ ने तीन महीने में नई चयन सूची बनाने के भी निर्देश दिए थे। इन्हीं आदेशों को राज्य सरकार व अन्य ने खंडपीठ में चुनौती दी थी।
सरकार और अन्य पक्षकार इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं।
इससे कम अंकों पर तृतीय श्रेणी शिक्षक बने अभ्यर्थी बाहर होंगे
दुबारा जारी होगा आरटेट का परिणाम, शिक्षकों की नई चयन सूची बनेगी
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