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'गलती करके भूल जाए वह नादान' : साध्वी डॉ.भव्यानंद श्री

पीलीबंगा | जीवन में गलती करने से पहले ही जो संभल जाए, वह इंसान है। गलती करके भूल जाए वह नादान है। गलती करके मुस्कराए वह शैतान की प्रकृति है। ये विचार जैन भवन में साध्वी डॉ.भव्यानंद श्री ने मौजूद श्रद्धालुओं को गुरुवार प्रात: के प्रवचनों में प्रतिबोध करते हुए व्यक्त किए। साध्वी ने कहा कि जानवर के पास अच्छा-बुरा समझने का विवेक है। गलती पर लज्जित होना मानवीय गुण है। लज्जा, शर्म मनुष्य को अनेक प्रकार के पापाचार, गलत काम एवं बुरे व्यसनों से बचाती है। साध्वी ने कहा कि पापों की जन्म भूमि मनुष्य का मन है। गलती का हो जाना स्वाभाविक है, पर जो इन्सान अपनी गलतियों के लिए शर्मिंदा है, उनसे ङ्क्षजदगी में कभी दोबारा भूल नहीं होगी। शर्म मनुष्य की आंख में निवास करती है। आंखों में शर्म नहीं रखने वाला मनुष्य बेशर्म कहलाता है। बेशर्म शब्द भी अपना एक अर्थ रखता है। जब उसे अपनी गलती महसूस होगी तब भीतर में अपनी आत्मा एवं परमात्मा के सामने एवं बाहर से उसे घर के सदस्य व समाज के सामने शर्म की स्थिति से गुजरना पड़ेगा। अत: मनुष्य को मर्यादा में जीना चाहिए। मर्यादापूर्ण जीवन जीने का संकल्प समाजिकता की बुनियाद में पहली ईंट है। जिस समाज में परिवार में मर्यादा न हो वह अधिक समय तक जीवित नहीं रह सकता। जैन सभा अध्यक्ष मूलचंद बांठिया ने बताया कि रविवार को प्रात: व्याख्यान देने के बाद सूरतगढ़ के लिए प्रस्थान करेंगी। 

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