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'कभी नहीं करना चाहिए संत का अपमान'

पीलीबंगा |श्रीशिव महापुराण कथा ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिन स्वामी आत्मानंद महाराज ने श्रद्धालुओं को भक्ति रस में डूबो दिया। प्रवक्ता नरेंद्र बागड़ी ने बताया कि कथा में स्वामी जी कहा कि संत और भगवान में कभी अंतर नहीं समझना चाहिए। संत का कभी अपमान नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि संत के संग से अज्ञान का नाश होता है। अज्ञान के मिटने पर ही जीव को अपने स्वरूप का ज्ञान होता है एवं ज्ञान होने पर ही जीव को शांति की प्राप्ति होती है। स्वामी ने कहा कि मौत को कोई नहीं चाहता, लेकिन प्रत्येक इंसान को मरना पड़ता है। उन्होंने कहा कि जन्म के बाद मौत एवं मौत के बाद जीव का पुर्नजन्म होता है। जब तक जीव का मोक्ष नहीं होता तब तक जीव का आवागमन नहीं मिटता। स्वामी जी ने बताया कि भगवान शिव मोक्ष के दाता है। शिव की कृपा होने पर जीव का मोक्ष हो सकता है। उन्होंने कहा कि धर्म एवं अधर्म का फल ही सुख और दुख के रूप में मिलता है। मानव को वहीं कर्म करना चाहिए, जिसका फल आप को अच्छा मिले। इससे पूर्व गुरुवार की कथा का शुभारंभ पूर्व पालिकाध्यक्ष राजकुमार फंडा, रेशमलाल कंधारी, श्यामसुंदर शर्मा, प्रदीप राठी, सुभाष गर्ग, राजकुमार भूतना, रामदेव रोहतकिया, हनुमानप्रसाद, तनसुखदास पाणेचा आदि ने दीप प्रज्वलित कर किया। कथा में महिला श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिल रही है। कथा में जूता रक्षण की व्यवस्था प्रतापङ्क्षसह राठौड़, दीपांशु गर्ग व राकेश सारस्वत द्वारा की जा रही हैं। 

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